ब्रेस्ट फीडिंग किसी भी नवजात बच्चे की पहली और सबसे बड़ी जरूरत होती है. मां के दूध के बिना किसी भी बच्चे के लिए जान पर खेलने के समान होता है क्योंकि जन्म लेने के बाद से शरीर और ऊर्जा के लिए आवश्यक पोषक तत्व केवल मां के दूध से ब्रेस्ट फीडिंग के जरिये ही बच्चे तक पहुँचते हैं. आज हम आपको ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जिसे जानना हर मां के लिए बहुत ही जरूरी होता है-
नवजात शिशु के लिए मां का दूध किसी अमृत से कम नहीं होता. जन्म से कुछ दिनों तक उसका आहार केवल मां का दूध होता है. डॉक्टर्स का भी कहना होता है कि बच्चे के जन्म के बाद तकरीबन 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध पिलाना जरूरी होता है.
स्तनपान कराने वाली मांओं के साथ समस्या ये होती है कि उन्हें पता नहीं चल पाता कि कब उन्हें बच्चे को ठोस भोजन देना शुरू करना चाहिए या फिर कब उन्हें स्तनपान बंद कर देना चाहिए इसलिए इसी से संबंधित कुछ जानकारियों हम आपके देने जा रहे हैं.
. बच्चों को स्तनपान छुड़ाते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि 6 महीने या साल भर के बाद अचानक से स्तनपान न बंद करें. इससे नवजात के शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में आप दूध पिलाने का अंतराल धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं और रात में स्तनपान बिल्कुल बंद कर दें.
. गुजरते वक्त के साथ-साथ दूध बनना भी कम होता जाता है. लगभग 9 महीने बाद ऐसी स्थिति आनी शुरू हो जाती है. ऐसे में शिशु को ठोस आहार, फल, सब्जियां खिलाना शुरू कर देना चाहिए.
. कुछ नवजात शिशुओं में खुद ही दूध पीने की दिलचस्पी घट जाती है जबकि कुछ ऐसे भी होते हैं जिनसे स्तनपान छुड़वाना काफी मुश्किल होता है. अगर शिशु एक साल से ज्यादा का हो चुका है तो दूध पिलाना बंद कर दें और ठोस आहार देना शुरू कर दें.
. जब शिशु के दांत निकलने शुरु हो जाएं तब स्तनपान थोड़ा कम कर दिया जाना चाहिए. बहुत से शिशु ऐसे होते हैं जिनके दांत छः महीने में ही आने शुरू हो जाते हैं. ऐसे शिशुओं को छः महीने बाद से ही कम स्तनपान में कोई समस्या नहीं है. उन्हें अब ठोस डाइट का सेवन कराना शुरू कर देना चाहिए.