जोधपुर 15 जुलाई 2017। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय उड़िया -राजस्थानी अनुवाद कार्यशाला जोधपुर स्थित होटल चन्द्रा इन में आयोजित की जा रही है ।कार्यशाला के अंतर्गत शनिवार को विभिन्न अनूदित कहानियों पर परस्पर संवाद हुआ । शनिवार को एक दर्जन से अधिक उडिया कहानियों का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया गया ,यह अनूदित उड़िया कहानियाँ राजस्थानी पाठकों के सम्मुख जल्द ही आएगी । जोधपुर के होटल चन्द्राइन में चल रही अनुवाद कार्यशाला में सात राजस्थानी एवं चार ओडिय़ा साहित्यकार शिरकत कर रहे हैं वहीं दोनों भाषाओं के परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. अर्जुन देव चारण व डॉ. गौर हरिदास भी अनुवाद-कार्य में सक्रिय सहयोगी बने हुए हैं।
आज अनूदित कहानियों का वाचन हुआ जिसमें कहानीकार चैनसिंह परिहार ने डॉ. अरविंद राय की कहानी कितना अंधेरा : उतना उजाला व जयतीरथ की धूप-दीप , डॉ. सत्यनारायण ने दाश बेनहूर व जगन्नाथ प्रसाद दास की लोक संस्कृति , डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने आशीष गड़नायक की भात व क्षेत्रवासी नाएक की दादन, साहित्यकार-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने गौरहरि दास की जंजीर व डॉ. इति सांमत की आंधी के बाद का सूरज, कवि-कहानीकार मीठेश निर्मोही ने अजय स्वाईं की शर्म-2005 व डॉ. देवाशिष प्राणिग्राही की बंद खिड़की का घर, कथाकार अरविंदसिंह आशिया ने चिराथीइंद्रसिंह की अभिनेत्री व सरोजिनि साहू की दुख अपरिमित कहानी एवं कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने दीप्ति पटनायक की कहानी निस्संग का एवं विभूति पटनायक की चयनित कहानी समानांतर सरल रेखाएँ कहानियों के राजस्थानी अनुवाद के चयनित अंश प्रस्तुत किए।
– मोहन थानवी
जोधपुर 15 जुलाई 2017। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय उड़िया -राजस्थानी अनुवाद कार्यशाला जोधपुर स्थित होटल चन्द्रा इन में आयोजित की जा रही है ।कार्यशाला के अंतर्गत शनिवार को विभिन्न अनूदित कहानियों पर परस्पर संवाद हुआ । शनिवार को एक दर्जन से अधिक उडिया कहानियों का राजस्थानी भाषा में अनुवाद किया गया ,यह अनूदित उड़िया कहानियाँ राजस्थानी पाठकों के सम्मुख जल्द ही आएगी । जोधपुर के होटल चन्द्राइन में चल रही अनुवाद कार्यशाला में सात राजस्थानी एवं चार ओडिय़ा साहित्यकार शिरकत कर रहे हैं वहीं दोनों भाषाओं के परामर्श मंडल के संयोजक डॉ. अर्जुन देव चारण व डॉ. गौर हरिदास भी अनुवाद-कार्य में सक्रिय सहयोगी बने हुए हैं।
आज अनूदित कहानियों का वाचन हुआ जिसमें कहानीकार चैनसिंह परिहार ने डॉ. अरविंद राय की कहानी कितना अंधेरा : उतना उजाला व जयतीरथ की धूप-दीप , डॉ. सत्यनारायण ने दाश बेनहूर व जगन्नाथ प्रसाद दास की लोक संस्कृति , डॉ. राजेन्द्र बारहठ ने आशीष गड़नायक की भात व क्षेत्रवासी नाएक की दादन, साहित्यकार-पत्रकार मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने गौरहरि दास की जंजीर व डॉ. इति सांमत की आंधी के बाद का सूरज, कवि-कहानीकार मीठेश निर्मोही ने अजय स्वाईं की शर्म-2005 व डॉ. देवाशिष प्राणिग्राही की बंद खिड़की का घर, कथाकार अरविंदसिंह आशिया ने चिराथीइंद्रसिंह की अभिनेत्री व सरोजिनि साहू की दुख अपरिमित कहानी एवं कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने दीप्ति पटनायक की कहानी निस्संग का एवं विभूति पटनायक की चयनित कहानी समानांतर सरल रेखाएँ कहानियों के राजस्थानी अनुवाद के चयनित अंश प्रस्तुत किए।
– मोहन थानवी
बीकानेर 04 जुलाई 2017। साहित्य जगत में निरंतर गतिशील एवं नवाचार युक्त अपनी साहित्यिक गतिविधियों के लिए अलहदा पहचान वाला शहर बीकानेर फिर गौरवान्वित हो रहा है; बीकानेर के कवि-आलोचक डॉ नीरज दइया को राजस्थान रत्नाकर, दिल्ली द्वारा श्रेष्ठ साहित्य सेवा के लिए इस वर्ष का ‘श्री दीपचंद जैन साहित्य पुरस्कार’ अर्पित किया जाना घोषित हुआ है।
दिल्ली के शाह आडिटोरियम में इसी माह की 16 तारीख रविवार को सायं 4 बजे होने वाले भव्य वार्षिक समारोह में डॉ. दइया को पुरस्कार अर्पित किया जाएगा। पुरस्कार में 25 हजार रुपये की नगद राशि, प्रशस्ति-पत्र एवं शॉल ओढाकर डॉ. दइया को सम्मानित किया जाएगा । पुरस्कार वितरण समारोह के बाद में प्रसिद्ध नाटक ‘कोर्ट मार्शल’ की प्रस्तुति होगी। संस्था के चैयरमैन राजेन्द्र गुप्ता के अनुसार चिकित्सा, समाज सेवा, जनसंचार, साहित्य, खेल-कूद और व्यापार आदि विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्यों के लिए यह पुरस्कार प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है, इस वर्ष राजस्थानी आलोचना के क्षेत्र में उपलब्धिमूलक उल्लेखनीय़ कार्य हेतु डॉ. नीरज दइया को चयनित किया गया है।
मुक्ति के सचिव राजेन्द्र जोशी ने बताया कि डॉ. नीरज दइया को साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के बाल साहित्य पुरस्कार, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के अनुवाद पुरस्कार के साथ नगर विकास निगम का “पीथळ पुरस्कार” सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्टीट्यूट, बीकानेर का तैस्सितोरी अवार्ड, रोटरी क्लब, बीकानेर का “खींव राज मुन्नीलाल सोनी” पुरस्कार, कालू बीकानेर का नानूराम संस्कर्ता राजस्थानी साहित्य सम्मान, कांकरोली उदयपुर का मनोहर मेवाड़ राजस्थानी साहित्य सम्मान, फ्रेंड्स एकता संस्थान बीकानेर द्वारा साहित्य सम्मान तथा सृजन साहित्य संस्थान, श्रीगंगानगर द्वारा सुरजाराम जालीवाला सृजन पुरस्कार अर्पित किए जा चुके हैं। हिन्दी-राजस्थानी में समान गति व अधिकार से लिखने वाले डॉ. दइया की अब तक विभिन्न विधाओं की दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। पिछले माह आलोचना पुस्तकें ‘बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार’ एवं ‘मधु आचार्य आशावादी के सृजन-सरोकार’ पुस्तकें लोकार्पित हुई और चर्चा में है।
– मोहन थानवी