ये सभी एक अच्छा जीवन बच्चों को दे सकें यही सोचकर घर से दूर गए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन वे मुसीबत में पड़ जाएंगे। अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना ही इनकी परेशानी बन गया। अब ये सभी पिछले कई दिनों से सड़कों पर रात गुजारने को मजबूर हैं।
जानकारी के अनुसार, राजस्थान के दौसा, सवाईमाधोपुर, करौली और भरतपुर के 26 लोग मजदूरी का काम करने के लिए दुबई गए। यहां एक मार्बल कंपनी में इन्हें काम मिला और ये लोग बिल्डिंगों में मार्बल लगाने का काम करने लगे। पिछले दो-तीन साल से इन्हें इस काम के बदले हर महीने 18 से 20 हजार रुपए मिलते और इसी से ये अपना खर्चा चलाते। जो भी पैसा बचता उसे अपने परिवार वालों के यहां भेज देते।
इसी दौरान कंपनी मालिकों ने उन्हें लेबर कैंप भी रहने के लिए दिया। अचानक कंपनी मालिक ने इन्हें दूसरे लेबर कैंप में रहने भेज दिया। यहां आकर जब इन लोगों ने देखा कि कैंप की हालत ठीक नहीं है। वहां रहने पर कभी भी हादसा हो सकता है जिससे उनकी जान भी जा सकती है।
शिकायत की, लेकिन कुछ नहीं हुआ

जब इन लोगों ने कंपनी मालिक को कैंप के जर्जर अवस्था में होने की बात बताई तो उसने कहा कि रहना है तो रहो यही जगह है। इसका विरोध करने पर कंपनी मालिक ने इन्हें कंपनी और लेबर कैंप दोनों से बाहर निकाल दिया।
कंपनी मालिक ने इनके पासपोर्ट और वीजा भी अपने पास रख लिए। जिसके बाद इन्होंने वहां भारतीय दूतावास में शिकायत भी दर्ज कराई, लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐसे हालात में पिछले करीब बीस दिनों से ये 26 लोग दुबई के सहरजा की सड़कों पर रात बिताने को मजबूर हैं। यहां रहने वाले मजदूरों के परिजनों ने बताया कि कंपनी उन पर वहीं रहकर काम करने का दबाव बना रही है और भारत नहीं भेज रही। जबकि वे सभी अपने देश भारत वापस आना चाहते हैं।