आज सुबह उठने का दिल नहीं कर रहा था तो आप अकेले नहीं हैं. जागने के बाद देर तक चेहरे पर मुस्कान नहीं आई तो भी आप अकेले नहीं हैं. ये कमबख्त दिन ही कुछ ऐसा है.
शोध कहते हैं कि हम जैसे लाखों लोग हैं, जिनके लिए ‘सोमवार’ सप्ताह का सबसे बुरा दिन होता है. जैसे-जैसे सप्ताह आगे बढ़ता है, मूड अच्छा होने लगता है और ‘शनिवार’ को हम सबसे ज्यादा खुश होते हैं.
यूनिवर्सिटी ऑफ वेरमाउंट कॉम्पलेक्स सिस्टम सेंटर की हालिया शोध ठप्पा लगाती है कि सोमवार को ‘हम सब’ उदास रहते हैं. काम पर जाने से कतराते हैं, देर से दफ्तर पहुंचते हैं और काम की क्वालिटी भी और दिनों से कुछ कम अच्छी रहती है. बहुत से लोग इस दिन छुट्टी भी करना चाहते हैं. यहां तक कि दफ्तर में अपने सहकर्मियों से अनबन भी इसी रोज सबसे ज्यादा होती है.

खुशियों को आंकने के लिए उन्होंने ट्विटर संदेशों की सहायता ली. 2008 से अब तक के ट्वीट लिए गए. शोध में हर दिन लगभग 50 मिलियन ट्विटर पोस्ट को देखा गया. ध्यान दिया गया कि कि ट्विटर यूजर कैसे शब्द कब इस्तेमाल करते हैं. इन शब्दों को खुशियों के लिए 1 से 9 तक स्कोर दिया गया.
इतनी सारी ट्विटर पोस्टों पर एक ही बात कॉमन दिखी कि ज्यादातर लोग सबसे कम खुशी वाले शब्द और भाव सोमवार को ही इस्तेमाल करते हैं.

यानी सोमवार को ही लोग और खासकर कामकाजी लोग ज्यादा परेशान रहते हैं. वे सबसे कम प्रोडक्टिव होते हैं और सोमवार से ही सप्ताह बीतने का इंतजार करने लगते हैं.
वहीं जैसे-जैसे दिन आगे बढ़ते जाता है, हम सामान्य होने लगते हैं और शनिवार तक एकदम खुश हो जाते हैं. हालांकि इसके बाद इतवार बीतते-बीतते एकबार फिर उदासी का दौर शुरू हो जाता है.
तो अगर आप भी मंडे-ब्लूज से परेशान रहते हैं तो फिक्र मत करें. आप अकेले नहीं हैं, बल्कि हो सकता है आपके सहकर्मी और यहां तक कि आपका बॉस भी मंडे से घबराता हो.