छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहने वाली ये सभी महिलाये स्कूलो में रसोइया पद में काम करती थी इसमे से एक महिला रसोइया पद में लगभग 2002 से काम करती आ रही है इस महिला की न्यूनतम आय पहले वर्ष 2002 में 400 रुपये ही थी सरकार के के फैसले और निर्देसनुसार उन सभी महिलाओं को प्यून चपरासी की नोकरी दी जाएगी जो रसोइया पद में 10 वर्ष कार्य करेंगी यह महिला लगभग वर्ष 2016 तक काम की पर इस महिला को कोई प्यून चपरासी जैसी नोकरी नही दी गई बल्कि 16 स्कूल बंद होने के कारण उस स्कूल को भी बंद कर दिया गया जिसमें यह महिला काम करती थी जिसे महिला की रसोइया पद की नोकरी भी छीन ली गई 2016 में इस महिला की न्यूनतम आय मात्र 1500 रुपये ही बढ़ी थी महिला के बयान अनुसार महिला ने कहा कि वह ऐसी आश में थी कि उन्हें 10 वर्ष बाद मतलब 2011 में नौकरी दे दी जाएगी पर ऐसा नही हुआ बल्कि बची हुई नौकरी को भी छीन लिया गया इसके साथ ही उन महिलाओं को भी यही आशा थी जो रसोइया पद पर 10 वर्ष से ज्यादा काम कर चुकी है जब 16 स्कूल बंद हुए तो सिर्फ उन्हीं महिलाओ की नोकरी छीनी गई जो 10 वर्ष पुराने थे

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और जो समूह में काम कर रहे थे जिन्हें रसोइया की नोकरी में लगे 5 साल भी नही हुए थे उन्हें दूसरे स्कूलो में कार्य करने के लिए भेजा गया कार्यविहीन महिलाओ ने अपनी प्यून की नौकरी की मांग हेतु डियो आफिस कलेक्टेड महापौर इन सभी के पास अपनी समस्याएं बताई पर इनकी समस्याओ को अनदेखा कर दिया गया और कोई कार्यवाही नही की गई इसके बाउजूद भी जब कुछ नही हुआ तो महिलाओ ने रैली निकाली हड़ताल किया इसमे सरकार के निर्देसनुसार फैसला आया कि रसोइया पद की 10 वर्ष पुरानी महिलाओ को प्यून चपरासी की नोकरी दी जाएगी पर जब सभी महिलाओ ने प्यून चपरासी की नौकरी का फार्म भरा तो उन फ़ार्मो पर भी कोई प्रतिक्रिया नही हुई और कार्य को पूरा नही किया गया इस तरह इन सभी महिलाओं को पुनः एक बार और झूठी आशा मिली महिलाये सरकार से नाराज है इन्हें इंसाफ चाहिए महिलाओ को इंसाफ दिया जाना चाहिए

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