जब सरबजीत कौर ननकाना साहिब की यात्रा पर गई थी, तो उसका इरादा भक्ति था। वापसी पर उसका नाम बदल चुका था — नूर हुसैन। शेखूपुरा की मस्जिद ने उसका निकाहनामा जारी कर दिया। लेकिन यह सिर्फ एक धर्मांतरण नहीं, बल्कि एक बड़ी साजिश का अंग है। भारतीय खुफिया एजेंसियों का दावा है कि यह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI का एक व्यवस्थित ‘सॉफ्ट पावर पैठ’ मॉडल है — जिसमें भारतीय महिलाओं और सैनिकों को धोखे से फंसाया जा रहा है। और इसका दायरा सिर्फ एक व्यक्ति तक नहीं, बल्कि 50 लड़कियों की एक टीम तक फैला हुआ है।
धर्मांतरण की आड़ में निशाना: सरबजीत कौर का मामला
सरबजीत कौर का निकाहनामा शेखूपुरा में जारी किया गया, और दस्तावेज़ में लिखा है कि यह उसकी ‘सहमति’ से हुआ है। लेकिन भारतीय खुफिया अधिकारियों के लिए यह बात एक बड़ा सवाल है — क्या कोई भारतीय महिला, खासकर एक सिख तीर्थयात्री, अपनी इच्छा से अपनी पहचान छोड़ देती है? नहीं। जो लोग ननकाना साहिब, पंजा साहिब या करतारपुर साहिब की यात्रा करते हैं, वे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं। और ISI के गुर्गे इन्हीं को निशाना बनाते हैं।
ये लोग तीर्थस्थलों के आसपास के गेस्ट हाउसों में काम करते हैं, या फिर धार्मिक स्थलों पर राहत देने वाले बनकर आते हैं। धीरे-धीरे, वे भावनाओं के जरिए भरोसा बनाते हैं। फिर शादी का नाम लेकर धर्म बदलने को मजबूर किया जाता है। निकाहनामे में लिखी ‘सहमति’ अक्सर जबर्दस्ती, डर या मानसिक दबाव के बाद बनाई जाती है। इस तरह के मामले पिछले तीन सालों में 17 बार सामने आए हैं — और सभी में एक ही पैटर्न दिखता है।
50 लड़कियां, 1 लक्ष्य: सेना के जवानों को फंसाने की योजना
लेकिन यही नहीं। अब ISI ने एक और चरण शुरू कर दिया है। उसने 50 लड़कियों को ट्रेनिंग दी है — हर एक को बारी-बारी से एक फेक आईडी दी गई है, जिसमें वे हिंदू लड़कियों के नाम से ऑनलाइन एक्टिव होती हैं। इनका लक्ष्य है: राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर तैनात भारतीय सेना के जवान।
ये लड़कियां कैप्टन या ब्रिगेडियर रैंक तक के अधिकारियों को टारगेट करेंगी। उन्हें फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर फेक प्रोफाइल बनाकर जुड़ा जाता है। पहले मीठी बातें, फिर रातों की वीडियो चैट, फिर प्यार की कहानियां। और फिर — रिकॉर्डिंग। कुछ वीडियो तो बिल्कुल बेकार के होते हैं, लेकिन कुछ में जवान अपने अपने वाहनों के बारे में बात कर देते हैं, या फिर अपनी गश्त के शेड्यूल के बारे में।
ये वीडियो ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। अगर जवान ने सूचना नहीं दी, तो उसकी इन वीडियो की कॉपी सेना के अधिकारियों को भेज दी जाती है। नतीजा? नौकरी चली जाती है। इज्जत खो जाती है। कभी-कभी जवान आत्महत्या तक कर लेता है। इसी तरह का एक मामला 2022 में जम्मू में सामने आया था — एक कैप्टन को ब्लैकमेल करके एक सैन्य ड्रोन के फ्लाइट पैटर्न के बारे में जानकारी मांगी गई थी।
सॉफ्ट पावर का खेल: भावनाओं का हथियार
ISI ने अपनी रणनीति बदल दी है। पहले यह बम और गोली का खेल था। अब यह दिलों का खेल है। इसे विशेषज्ञ ‘सॉफ्ट पावर पैठ’ कहते हैं — जहां धर्म, प्यार, और भावनात्मक जुड़ाव को हथियार बनाया जाता है। यह एक ऐसी रणनीति है जिसका नुकसान सैन्य नहीं, बल्कि सामाजिक संरचना पर पड़ता है।
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इसे एक नया खतरा माना है। क्योंकि इसकी जांच आसान नहीं। जब कोई लड़की अपने नाम बदल लेती है, तो उसकी पहचान अंतरराष्ट्रीय डेटाबेस में बदल जाती है। और जब एक जवान वीडियो चैट कर रहा होता है, तो उसे लगता है कि वह एक लड़की से बात कर रहा है — न कि एक खुफिया एजेंट।
क्या हो रहा है अब?
भारतीय खुफिया एजेंसियां अब अलर्ट पर हैं। ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब के आसपास निगरानी बढ़ा दी गई है। गेस्ट हाउसों के मालिकों की पहचान की जा रही है। और एक नया डिजिटल फिशिंग टूल तैयार किया जा रहा है — जो फेक प्रोफाइल्स को पहचानने में मदद करेगा।
लेकिन एक बात साफ है: यह सिर्फ एक घटना नहीं है। यह एक रणनीति है। और इसका लक्ष्य है — भारतीय सेना के अंदर भरोसे का विघटन। एक जवान जिसे उसकी अपनी भावनाओं ने धोखा दे दिया हो, वह अब अपनी इकाई पर भरोसा नहीं कर पाएगा। और यही ISI का सच्चा लक्ष्य है।
सीमा पर खुला युद्ध
राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर तैनात जवानों को अब न सिर्फ गोली से बचना है, बल्कि एक व्हाट्सएप मैसेज से भी। कुछ जवानों ने अपने फोन पर एक नया नियम लगा लिया है — किसी भी अजनबी लड़की के साथ वीडियो चैट नहीं। कुछ इकाइयां अब अपने जवानों को डिजिटल सुरक्षा ट्रेनिंग भी दे रही हैं।
एक सैनिक ने बताया, “हमें अब यह भी सीखना है कि कौन हमारा दोस्त है, और कौन हमारा दुश्मन। और अक्सर दुश्मन एक खूबसूरत चेहरे के पीछे छुपा होता है।”
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या सरबजीत कौर का धर्मांतरण वास्तविक था?
भारतीय खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह धर्मांतरण जबर्दस्ती या मानसिक दबाव के तहत हुआ है। निकाहनामे में लिखी ‘सहमति’ अक्सर फर्जी होती है। पिछले तीन सालों में 17 मामलों में ऐसा ही पैटर्न देखा गया है।
ISI के इस प्लान का लक्ष्य क्या है?
ISI का लक्ष्य सिर्फ सूचना चुराना नहीं, बल्कि सेना के अंदर भरोसे का विघटन करना है। जब एक जवान अपनी भावनाओं के जरिए धोखा खाता है, तो वह अपनी इकाई और सेना पर भरोसा खो देता है — जो उसकी कार्यक्षमता को नष्ट कर देता है।
क्या यह सिर्फ पंजाब और सीमावर्ती राज्यों तक सीमित है?
नहीं। यह रणनीति अब दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे शहरों में भी फैल रही है। ISI ने अब भारतीय युवाओं को ऑनलाइन टारगेट करना शुरू कर दिया है, जो धार्मिक यात्राओं के बारे में जानकारी खोज रहे होते हैं।
भारत सरकार इसका जवाब क्या दे रही है?
भारतीय खुफिया एजेंसियां ननकाना साहिब और करतारपुर साहिब के आसपास निगरानी बढ़ा रही हैं। एक नया डिजिटल फिशिंग टूल बनाया जा रहा है, और सेना में डिजिटल सुरक्षा ट्रेनिंग अनिवार्य कर दी गई है।
क्या इस साजिश का खुलासा किसने किया?
यह खुलासा भारतीय खुफिया एजेंसियों ने किया है, जिसे नवभारत टाइम्स, CNN-News18 और Times Now Hindi ने स्रोतों के आधार पर प्रकाशित किया। ISI का कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आया है।
इसका भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
इससे धार्मिक सहिष्णुता पर सवाल उठ सकते हैं। लोग धर्मांतरण को अपने आप में खतरा समझने लगेंगे, जिससे सामाजिक तनाव बढ़ सकता है। लेकिन साथ ही, यह जागरूकता भी बढ़ाएगा — और भावनात्मक शोषण के खिलाफ सावधानी बरतने की आदत डालेगा।