जयपुर। राजस्थान की 40 नगरपालिकाओं और नगरपरिषदों में सीवरेज, ड्रेनेज और जल सप्लाई योजनाओं और जनआवास योजनाओं की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के नाम पर 320 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कोई भी विभाग और अधिकारी इस घोटाले की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है।
ऐसे किया घोटाला
राज्य के नगरीय विकास विभाग ने अमृत मिशन के तहत इन नगरपालिकाओं में सीवरेज, ड्रेनेज और जल सप्लाई योजनाएं बनाई है। इसके लिए सभी नगरपालिकाओं को डीपीआर बनानी थी। डीपीआर बनाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग की ओर से डेडीकेटेड कन्सलटेंट को यह कार्य करना था। इसके लिए सभी नगरपालिकाओं और नगरपरिषदों के अधिशाषी अधिकारियों (ईओ) को बाकायदा टेंडर जारी करके इसे फाइनल करने थे। यह काम सभी नगरपरिषदों, नगरपालिकाओं के चेयरमैन और ईओ की कमेटी का था। साथ ही इन टेंडर्स की एक-एक प्रति राज्य सरकार के वेबपोर्टल पर जारी करने थे जो नहीं किए गए।
320 करोड़ का है घोटाला
राज्य में 40 नगर पालिकाओं में सीवरेज, ड्रेनेज और जल योजनाओं के काम होने है। इनमें एक नगरपालिका में 7 से 8 करोड़ की डीपीआर, लेआउप्लान बनाना, सर्वे आदि का काम होना है। इस तरह 40 नगरपालिकाओं में 320 करोड़ के कार्य होने हैं। यह सारा फायदा कुछ चुनिंदा फर्मे उठाना चाहती है।
ईओ को पता नहीं टेंडर जारी होकर फाइनल हुए
इस खेल के खिलाड़ियों ने अपनी चहेती फर्मों को काम देने के लिए टेंडर भी जारी कर दिए जबकि नगर पालिकाओं के ईओ को इसकी जानकारी भी नहीं थी। मामले का खुलासा भी ऐसे हुआ कि निवाई नगरपालिका ईओ के पास एक फर्म यह कहते हुए आई कि टेंडर उनके नाम का खुला है। उन्हें कार्यादेश जारी किया जाए। नगरपालिका चैयरमेन को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने ईओ से पूछा तो ईओ ने इस तरह की किसी भी प्रकार की निविदा जारी करने से मना कर दिया।
ईओ को कार्यादेश जारी करने का दबाव
40 नगरपालिकाओं में सिर्फ तीन कंपनियों को ही यह टेंडर मिला है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इन सभी नगरपालिकाओं के ईओ को पता भी नहीं चला कि उनके नाम से टेंडर जारी कर दिए। अब उन पर वर्कआर्डर जारी करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। इस मामले में नगरीय विकास विभाग और रुडसिको के अफसर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।