अगर हम भारतीय मीडिया की समस्याओं की चर्चा करें तो उसका वाणिज्यिकरण एक प्रमुख समस्या है। आज के समय में, दर्शकों की मांग के बजाय, विज्ञापनों और विपणन के दबाव के चलते, मीडिया हमें वो खबरें दिखाता है जो वो दिखाना चाहता है। इसका सीधा प्रभाव हमारी जागरूकता और सोच पर पड़ता है। हमें उस जानकारी को खोजने की आवश्यकता है जो हमारे लिए महत्वपूर्ण हो, बजाय उसके कि हमें जो चिपकाया जा रहा हो।
दूसरी समस्या है समाचार स्रोतों की कमी। आज के समय में ज्यादातर मीडिया हाउस अपने समाचार स्रोतों पर भरोसा करते हैं जो की सरकारी या विज्ञानी होते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि हमें सिर्फ एक ही दृष्टिकोण से खबरें मिलती हैं, जिससे हमारी समझ और जागरूकता की सीमा सिर्फ उसी सीमा तक सीमित रहती है।
तीसरी समस्या है संवेदनशीलता की कमी। बहुत सारे मामलों में मीडिया अपनी जिम्मेदारी को नजरअंदाज करता है और कच्ची खबरों और अधूरी जानकारी को प्रसारित करता है, जिससे दर्शकों में भ्रामक धारणाएं उत्पन्न होती हैं।
चौथी समस्या है अज्ञानता और भेदभाव। कई बार मीडिया कुछ विशेष समुदायों, समूहों, और व्यक्तियों के प्रति अपनी भेदभावपूर्ण रुझानों को दिखाता है, जिससे समाज में असमानता और विभाजन का माहौल पैदा होता है।
पांचवी समस्या है खबरों का अनुचित प्रसारण। कई बार मीडिया अपनी खबरों को अधिक संवेदनशील और धमाकेदार बनाने के लिए उन्हें अतिरेकीपूर्ण बना देता है, जिससे दर्शकों को खबर की वास्तविकता का पता नहीं चलता।
छठी और अंतिम समस्या है सोशल मीडिया का दुरुपयोग। आजकल, सोशल मीडिया का उपयोग गलत खबरों को फैलाने और लोगों को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है, जिससे समाज में अशांति और विभाजन का माहौल पैदा हो रहा है।
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