जब हम टीवी, अखबार या ऑनलाइन पोर्टल खोलते हैं तो अक्सर ऐसा लगता है कि खबरों में कुछ कमी है। क्या आप भी सोचते हैं कि भारतीय मीडिया कभी‑कभी अपना रास्ता खो देता है? आइए इस पेज पर मैं आपको बताता हूँ कि आज मीडिया में क्या‑क्या समस्याएँ हैं और इनका हल कैसे निकाला जा सकता है।
सबसे बड़ी समस्या आज़ादी की कमी है। कई बार विज्ञापन की बड़ी रकम या राजनीतिक असर के कारण समाचार चैनल खुद को नियंत्रित कर लेते हैं। जब कोई रिपोर्ट ऐसा मुद्दा उठाती है जो किसी बड़े विज्ञापनदाता या सरकार को नापसंद हो, तो अक्सर वह छंट जाती है या कम दिखती है। इस तरह के वाणिज्यिक दबाव से सच्ची खबरें बाहर नहीं आतीं।
टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइंट) भी एक और कारण है। चैनल वही शो या समाचार लेता है जो दर्शकों को जल्दी-जल्दी खींच ले। इसलिए गंभीर मुद्दों को छोड़कर हल्के‑फुल्के या सितारा‑प्रधान खबरों को प्राथमिकता मिलती है। इसका असर यह होता है कि लोगों को जरूरी सामाजिक या राजनीतिक जानकारी नहीं मिलती।
जब दर्शक बार‑बार देखेंगे कि खबरें आंशिक या पक्षपाती हैं, तो उनका भरोसा टूट जाता है। भरोसे को वापस पाने के लिए दो चीज़ें जरूरी हैं – प्रथम, रिपोर्टर को स्वतंत्र रूप से काम करने का माहौल चाहिए और द्वितीय, संपादकीय प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी। अगर स्रोत स्पष्ट हों और तथ्य‑जांच का रिकॉर्ड दिखे, तो लोग फिर से भरोसा करेंगे।
एक सरल उपाय यह है कि मीडिया आउटलेट्स खुद को छोटे‑छोटे हिस्सों में बाँटें। उदाहरण के लिए, एक टीम केवल सामाजिक मुद्दों पर ध्यान दे, दूसरी खेल या मनोरंजन पर। इस तरह प्रत्येक टीम अपने क्षेत्र में गहराई से रिसर्च कर सकेगी और टीआरपी की ललक कम होगी।
साथ ही, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर टिप्पणी या फीडबैक सेक्शन को सक्रिय रखें। जब पाठक अपनी राय दें, तो मीडिया को तुरंत पता चल जाएगा कि कौन‑सी खबरें सही दिशा में हैं और कौन‑सी नहीं। यह दो‑तरफ़ा संवाद भरोसे को मजबूत करता है।
आप भी एक साधारण पाठक के रूप में इस बदलाव में मदद कर सकते हैं। जब आप कोई खबर पढ़ें, तो उसके स्रोत, लेखक और तिथि जांचें। अगर कुछ अनिश्चित लगे तो उसे शेयर न करें। इस तरह छोटे‑छोटे कदम से बड़ी किस्मत बनती है।
सारांश में कहा जाए तो भारतीय मीडिया का आज का चेहरा कई दबावों की वजह से थोड़ा धुंधला है, लेकिन सही कदम उठाने पर वह फिर से साफ़ हो सकता है। हमें जरूरत है स्वतंत्रता, पारदर्शिता और पढ़ने वाले की जागरूकता की। जब सभी मिलकर यह काम करेंगे, तो समाचार और मीडिया विमर्श का पन्ना फिर से भरोसेमंद बन जाएगा।
रमोजी राव का निधन, जिन्होंने रमोजी फिल्म सिटी और ईनाडू की स्थापना की, भारतीय मीडिया और फिल्म उद्योग के लिए एक अमूल्य नुकसान है। पद्म विभूषण विजेता ने तेलुगु भाषा को राष्ट्रीय मंच पर लाया।
नवंबर 18 2025
मेरे अनुसार, भारतीय मीडिया की सबसे बड़ी समस्या उसकी स्वतंत्रता का अभाव है। वाणिज्यिक और राजनीतिक दबाव के कारण मीडिया की स्वतंत्रता सीमित हो गई है। दूसरी समस्या है विषयों का चयन, जो अधिकांशत: टीआरपी द्वारा निर्धारित होता है, जिससे आवश्यक मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है। इसके साथ ही, मीडिया की सत्यनिष्ठा और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठ रहे हैं। संशोधन और सत्य की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
जुलाई 19 2023