7-0 का स्कोरलाइन हॉकी में अक्सर नहीं दिखता। राजगीर हॉकी स्टेडियम में भारत ने चीन के खिलाफ वही किया—मैच की पहली सीटी से आखिरी सेकंड तक एकतरफा दबदबा। इस जीत के साथ भारत ने सुपर 4s तालिका में टॉप करते हुए फाइनल का टिकट पक्का कर लिया और बाकी टीमों को साफ संकेत भेज दिया कि खिताब की रेस में उसका पलड़ा भारी है। यह जीत सिर्फ बड़ी नहीं, बेहद सिस्टमैटिक भी थी—हर क्वार्टर में योजना साफ, स्पीड तेज और फिनिशिंग धारदार।
यह मुकाबला हीरो एशिया कप 2025 के सुपर 4s राउंड का था और भारत ने शुरुआत ही धमाकेदार की। चौथे मिनट में शिलानंद लाकड़ा ने गोल कर टीम को बढ़त दिला दी। यह मूव कप्तान हरमनप्रीत सिंह की सटीक एरियल बॉल से शुरू हुआ, जिसे जर्मनप्रीत ने दाहिने किनारे से आगे बढ़ाया और लाकड़ा ने पहली ही मौके पर इसे गोल में तब्दील कर दिया। शुरुआती गोल ने चीन की संरचना हिला दी और भारत को वह आराम मिल गया जिसकी जरूरत बड़ी जीत के लिए होती है।
मध्य पंक्ति ने खेल की रफ्तार कंट्रोल की और विंग्स से लगातार आक्रामक रन बने रहे। गेंद ज्यादातर समय चीन के हाफ में रही। भारतीय फॉरवर्ड लाइन ने सर्कल एंट्री पर निर्भर रहने के बजाय अंदर घुसकर पास और रिबाउंड से मौके बनाए। नतीजा—गोलकिपर के सामने ट्रैफिक, डिफेंस की गलतियां और स्कोरबोर्ड पर बढ़त।
स्कोरिंग का असली शो दूसरे हाफ में दिखा। स्ट्राइकर अभिषेक ने 46वें और 50वें मिनट में दो गोल दागकर चीन की वापसी की हर उम्मीद खत्म कर दी। उनकी पोजिशनिंग बेहतरीन रही—एक बार उन्होंने डिफेंडर की पीठ में रन बनाया, तो दूसरी बार रिबाउंड पर सबसे पहले पहुंचे। यह वही बारीकियां हैं जो बड़े टूर्नामेंट में स्ट्राइकर को अलग खड़ा करती हैं।
भारत के लिए गोलों की सूची लंबी रही—दिलप्रीत सिंह, मनदीप सिंह, राजकुमार पाल और सुखजीत सिंह ने भी अपना नाम स्कोरशीट पर दर्ज कराया। चार अलग-अलग फॉरवर्ड्स का स्कोर करना बताता है कि टीम सिर्फ एक स्टार पर नहीं, पूरे अटैक यूनिट पर टिके सिस्टम से खेल रही है।
डिफेंस की बात करें तो यह प्रदर्शन उतना ही खास रहा। चीन को पूरे मैच में एक भी पेनल्टी कॉर्नर नहीं मिला। सर्कल डिफेंस कॉम्पैक्ट रहा, थर्ड-कार्ड प्रेस में इंटरसेप्शन निकले और आउटलेट पास सटीक रहे। हरमनप्रीत की कमान में बैकलाइन ने लाइन तोड़ी नहीं, धैर्य रखा और टर्नओवर को मौके में बदला। क्लीन शीट इसी अनुशासन का नतीजा है।
सुपर 4s राउंड राउंड-रॉबिन फार्मेट में होता है, जहां चारों टीमें एक-दूसरे से खेलती हैं और शीर्ष दो फाइनल में पहुंचती हैं। भारत ने सात अंक लेकर टॉप पर जगह बनाई, यानी लगातार जीत के साथ एक ड्रॉ जैसी स्थिरता। ऐसे फार्मेट में गोल डिफरेंस भी मायने रखता है, और 7-0 जैसी जीत फाइनल से पहले मनोवैज्ञानिक बढ़त दे जाती है।
भारत की योजना तीन स्तंभों पर टिकी दिखी—हाई-टेम्पो प्रेस, तेज ट्रांजिशन और पेनल्टी-एरिया में क्लीन फिनिश। प्रेस में पहले लाइन के फॉरवर्ड्स ने चैनल बंद किए, मिडफील्ड ने पासिंग लेन काटीं और बैकलाइन ने गलतियों को न्यूनतम रखा। ट्रांजिशन में दो-तीन पास में सर्कल के अंदर पहुंचना बड़ा फर्क बना गया। वहीं, बॉक्स में मौजूदगी इतनी घनी रही कि रिबाउंड और डिफ्लेक्शन से भी मौके बने।
राजगीर हॉकी स्टेडियम में माहौल बिजली जैसा रहा। घरेलू दर्शकों की आवाज और स्टेडियम का एनेर्जी लेवल खिलाड़ियों के खेल में झलकता रहा। घरेलू मैदान पर ऐसी जीत टीम के कॉन्फिडेंस को एक अलग स्तर पर ले जाती है—खासकर तब, जब अगले मैच में आपका सामना डिफेंडिंग चैंपियन दक्षिण कोरिया से हो।
फाइनल से पहले भारत के लिए पॉजिटिव—डिफेंस का अनुशासन, फॉरवर्ड्स का फार्म, और कैप्टन द्वारा सेट किए गए टेंपो का ठीक रहना। मिडफील्ड की रोटेशन और फ्लैंक्स से क्रॉस-फील्ड स्विचेज ने विपक्षी डिफेंस को बार-बार गलत पोजिशन में पकड़ा। एक और प्लस—टीम ने मैच को सिर्फ स्पीड से नहीं, कंट्रोल से भी जीता। जब जरूरत पड़ी, खेल धीमा कर पजेशन रखा; जब मौका मिला, सीधे बॉक्स में प्रवेश किया।
दक्षिण कोरिया के खिलाफ फाइनल में यही बैलेंस निर्णायक होगा। कोरिया टैक्टिकल रूप से अनुशासित और कॉर्नर कन्वर्जन में पारंपरिक तौर पर मजबूत टीम रही है। भारत के लिए पहली शर्त—फाउल जोन में अनावश्यक फाउल से बचना और ट्रांजिशन में बॉल सिक्योरिटी। अटैक में वही विविधता—डायरेक्ट बॉल, बेसलाइन कटबैक और सेकंड पोस्ट पर रन—को जारी रखना भी जरूरी होगा।
इस जीत का एक बड़ा सिग्नल यह भी है कि टीम सिर्फ स्कोरिंग पर नहीं, मैच मैनेजमेंट पर भी कामयाब हुई है। शुरुआती बढ़त के बाद भी गति कम नहीं हुई; चौथे क्वार्टर में भी फॉरवर्ड लाइन उतनी ही तीखी रही। कई टूर्नामेंट में टीमें लीड के बाद ढीली पड़ती हैं, भारत ने इस जाल में कदम नहीं रखा।
सुपर 4s में टॉप पर रहते हुए फाइनल में प्रवेश करना पूरे अभियान के लिए टोन सेट करता है। अब फोकस रिकवरी, माइक्रो-एडजस्टमेंट और पेनल्टी कॉर्नर दोनों छोर पर एग्जीक्यूशन की बारीकियों पर होगा। अगर यही तीव्रता और अनुशासन बरकरार रहा, तो राजगीर में मिली यह बड़ी जीत सिर्फ स्कोरलाइन नहीं, ट्रॉफी तक जाने का मोमेंटम साबित हो सकती है।
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