नई दिल्ली : आज के समय में हर कोई इंसान सफलता पाना चाहता है। इसके लिए वह मेहनत करने के लिए भी तैयार रहता है। लेकिन कई बार किन्हीं कारणों की वजह से मेहनत करने के बाद भी लोगों को सफलता नहीं मिलती। लेकिन अगर सफलता पाने के लिए सही दिशा में प्रयास किया जाए तो आपको सफलता पाने से कोई नहीं रोक सकता। अगर आप भी जीवन में सफलता पाना चाहते है तो इन बातों का ध्यान रखें
लक्ष्य पर नज़र
सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए, जिनमें सबसे पहले टारगेट यानी कि लक्ष्य पर नज़र रखनी चाहिए। सर्वप्रथम अपना लक्ष्य तैयार करना चाहिए। लक्ष्य बेशक बड़ा हो, परन्तु उसे प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए। लक्ष्य को क्रमश: बड़ा बनाना चाहिए और इसके लिए एक योजना की जरूरत पड़ती है, जिसे अपनी डायरी में लिख लेना चाहिए, ताकि छोटी परन्तु आवश्यक बातें छूट न जाएं। यदि इन सबके बावजूद कार्य की दिशा में काई वांछित सफलता नहीं मिल रही है, तो कार्य करने के तरीके में बदलाव लाना चाहिए। सफलता हमारे मन-मस्तिष्क को निराशा से भर देती है अत: बीती एवं कड़वी बातों पर अधिक सोच-विचार करने की अपेक्षा वर्तमान क्षण को सर्वश्रेष्ठ बनाना चाहिए।
सकारात्मक सोच
वर्तमान को सार्थक बनाने एवं लक्ष्य की ओर अग्रसर होने के लिए अगली महत्वपूर्ण बात है- सकारात्मक सोच (पॉजिटिव थिंकिंग)। सकारात्मक सोच से लक्ष्य का आधा भाग तय कर लिया जाता है। देखने का नजरिया हमेशा सफलता और असफलता का दिशा-निर्धारण करता है। सफलता की राह में आने वाली हर बाधा से जो समस्या पैदा होती है और समस्या के कारण जो निराशा-हताशा उत्पन्न होती है, उसके निराकरण एवं समाधान में सकारात्मक सोच ही एकमात्र सहायक होती है। हम चीजों को जैसे देखते हैं; वे हमारे लिए वैसी ही बन जाती हैं। अगर चीजों को अपने अनुकूल देखना हो तो उन्हें सही नज़र एवं विश्लेषण की दृष्टि से देखना चाहिए; अन्यथा नकारात्मक दृष्टि बताती है कि हमारी किस्मत कितनी खराब है और हम इस संसार में कितने अक्षम एवं समर्थ व्यक्ति हैं। सही सोच न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि प्रोफेशनल जीवन में भी सफलता का मापदंड तय करती है।
टाइम मैनेजमेंट
सकारात्मक सोच से समय के प्रबंधन का संबंध भी जुड़ा हुआ है। काम को निश्चित समय एवं अवधि के अन्दर पूरा करने की आदत डालनी चाहिए। समय पर किया गया कार्य हमारे अनुशासन को दर्शाता है। अनुशासन और समय-प्रबंधन का गहरा संबंध है। अनुशासित जीवनपद्धति सबसे पहले समय का ध्यान रखती है। समय की बड़ी महत्ता है। समय के साथ कार्य को अंजाम देना चाहिए। इससे औरों के समय का भी सम्मान होता है; क्योंकि हम अकेले नहीं हैं, किसी कार्य को करने में हमारे साथ और भी जुड़े होते हैं। हम यदि अपने कार्य को उचित ढंग से निश्चित समय में पूरा करते हैं तो हमारे साथ काम करने वालों का भी समय बचता है। अत: हमें टाल-मटोल न करते हुए एवं आज के कार्य को कल पर न डालकर, आज के काम को आज ही पूरा करना आना चाहिए। समय के साथ काम को अंजाम देना एक चुनौती है, पर चुनौती लक्ष्य के साथ सदैव जुड़ी रहती है।
पीछे मुड़कर न देखें
लक्ष्य के लिए चल पड़े हों तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। आगे की ओर आने वाली हर कठिनाई का डटकर सामना करना चाहिए। पीठ दिखाने वाले कायर कहलाते हैं और उनका उपहास उड़ाया जाता है; जबकि चुनौती का सामना करने वाले बहादुर कहे जाते हैं और उन्हीं के सिर पर सेहरा सजता है। हर चुनौती हमें एक नई सीख दे जाती है कि किस प्रकार हम अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएं? अत: हमें कभी भी डरना नहीं चाहिए तथा सूझबूझ के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए।
गुणवत्ता के लिए कुशलता की जरूरत
चुनौती तो होगी, परन्तु उसे हम किस कुशलता के साथ पूरा कर पाते हैं, यह हमारी कार्यशैली पर निर्भर करता है। जिस काम को हमें करना है, उसे बेहतर ढंग से करने के लिए और भी अच्छे ढंग से करने के लिए हमें अपनी (स्किल्स) कुशलता को विकसित करना चाहिए। यों ही किसी काम को करने से उसकी महत्ता कम होती है, जिससे हम वर्तमान समय में टिक नहीं पाएंगे। आज कार्य की गुणवत्ता पर अधिक बल दिया जाता है; क्योंकि प्रतियोगिता खूब बढ़ गई है। गुणवत्ता के लिए हमें कुशलता की जरूरत पड़ती है और यह तभी संभव है, जब हम आपस में एवं स्वयं में अच्छा तालमेल स्थापित कर सकें। हमें अपने समय, कुशलता, बुद्धि, भावना एवं क्षमता के बीच तालमेल रखना चाहिए। इसके अलावा हम जिसके साथ काम करते हैं या जो हमारे साथ काम करते हैं, उनके बीच बेहतर तालमेल का होना भी आवश्यक है। इसके अभाव में उत्पन्न गलतफहमी से परेशानी खड़ी हो जाती है। अत: सफलता के लिए हमें कुशलता के साथ अच्छा तालमेल बिठाना आना चाहिए।
वचन पर अडिग रहें
अपने लक्ष्य को पाने के लिए सर्वाधिक महत्व की बात है- कमिटमेंट। कमिटमेंट अर्थात जो हम कहते हैं, उसे निभाना आना चाहिए। कमिटमेंट लक्ष्य-प्राप्ति का उत्तम साधन है। जो अपने दिए गए वचन पर अडिग रहता है, वही प्रामाणिक होता है। ऐसे व्यक्ति को सहयोग एवं सहायता भी मिलती है और उसके लिए सफलता का द्वारा खुल जाता है, परन्तु जो आए दिन अपनी बातों से मुकरता रहता है, वह कोईबड़ा काम नहीं कर सकता। ऐसा व्यक्ति अप्रामाणिक कहलाता है। उस पर कोई विश्वास नहीं करता और अंतत: उसे सफलता ही हाथ लगती है। हालांकि कमिटमेंट करके उसे अंत तक निभाना बड़ा कठिन काम है, परन्तु यदि वचन दिया है तो फिर उसे निभाना चाहिए। सफलता के लिए यह एक अपरिहार्य शर्त है।
मौलिकता होना जरूरी
सफलता के लिए मौलिकता का होना भी जरूरी है। मौलिकता का अर्थ है- अपनी क्षमता के अनुरूप निज विशेषता। हमें अपने जैसा बनना चाहिए, किसी और जैसा नहीं। मालिक क्षमता यदि प्रबल हो तो हम उसी के अनुरूप प्रतिष्ठित एवं सम्मानित हो सकते हैं। ऐसा व्यक्ति जो अपनी मौलिकता को बढ़ा लेता है, उसका व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षक हो जाता है। उसके अन्दर एक चुंबकीय गुण पैदा हो जाता है। वह सफलता को आकर्षित कर लेता है और अंत में वह अनेक उपलब्धियों को हस्तगत कर लेता है।
सफलता एक योजना है
सफलता एक योजना है, जिसे चरणबद्ध ढंग से सुनियोजित तरीके से पूरा किया जाता है। उपयुक्त ढंग से यदि कार्य किया जाए, तो सफलता अवश्य ही उपलब्ध होगी। फिर हम सफलता का होना नहीं रोएंगे और निराशा-हताशा के गर्त में नहीं पहुंचेंगे। सफलता के लिए इस योजना को क्रियान्वित करना चाहिए। यदि फिर भी सफलता मिलती है तो उसके पीछे के कारणों को ढूंढकर उनका निराकरण करते हुए परिवर्तित योजनापूर्वक फिर से ईमानदार प्रयास करना चाहिए। इससे सफलता अवश्य प्राप्त होगी।