भारतीय राजनीति के इतिहास में ऐसा चौथा मौका है जब आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में कोई विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।
आपको जानकारी के लिए बतादें कि पहली बार आजादी के दौरान पं. नेहरू ने आधी रात को संसद में विशेष कार्यक्रम के तहत संबोधित किया था। दूसरी बार जब 1972 में आजादी की पच्चीसवी सालगिरह के दौरान इसके बाद तीसरी बार आजादी के पचासवीं सालगिरह पर यानि 1997 में संसद में आधी रात को विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। अब चौथी बार पीएम मोदी 30 जून 2017 की आधी रात को संसद के सेंट्रल हॉल में एक विशेष कार्यक्रम को संबोधित कर पूरे देश में जीएसटी लागू करने की घोषणा करेंगे।
30 जून की आधी रात के बाद गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स यानी GST सिस्टम पूरे देश में लागू हो जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि तथाकथित सबसे बड़े कर सुधार सिस्टम जीएसटी का पूरा विपक्ष विरोध कर रहा है। यहीं नहीं कांग्रेस, लेफ्ट, आरजेडी, टीएमसी और डीएमके ने संसद में होने वाले इस भव्य कार्यक्रम का बॉयकॉट किया है।
आपको जानकारी के लिए बतादें कि 80 मिनट के इस कार्यक्रम देशभर की कुल 100 से ज्यादा मशहूर हस्तियों को आम़ंत्रित किया गया है। जिनमें अमिताभ, लता मंगेशकर सहित अन्य फिल्मी सितारों से लेकर बड़े बिजनेसमैन तक शामिल शिरकत करेंगे।
लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जिस तरीक से वित्त मंत्रालय को मिनी वॉर रूम बनाया जा चुका है। जिसके अनुसार कई फोन लाइन्स और कम्प्यूटर सिस्टम सेट किए गए है। ये तकनीक इतनी जल्दी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के टैक्स प्रणाली को रातोरात बदल पाएगी।
जब कि हालात ये हैं कि इस देश में आजादी के बाद कुल 16 किस्म के टैक्स और 1150 चुंगियां तथा कई तरह की व्यापारिक छोटे-बड़े बाजार हैं।
व्यापारियों में जीएसटी को लेकर जिस तरीके आपाधापी और असमंजस को माहौल बना हुआ है। इससे ऐसा मालूम पड़ता है कि यह जीएसटी के लिए शुभ संकेत नहीं है। पिछले दिनों देश के कई व्यापारिक संघों ने जीएसटी को लेकर विरोध जताया और अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कर सरकार के विरोध में धरना प्रदर्शन भी किया गया।
हालांकि सत्ता ने अपनी क्षमता के अनुसार अनुशासन को नाम देकर इन व्यापारियों की बोलती बंद कर दी। जीएसटी को लेकर ज्यादातर व्यापारियों का कहना है कि हमें जीएसटी के लागू होने से कोई परेशानी नहीं लेकिन जिस प्रकार से देश के करीब 70 फीसदी व्यापारी इस आनलाईन तकनीक से अनभिज्ञ हैं उसे देखते हुए जीएसटी के बाद वे अपने खातों को कैसे मेंटेन करेंगे।
जहां तक देश की बड़ी अंतर्राष्ट्रीय वित्त सलाहकार कंपनियों की बात वे भी कह चुकी हैं कि जीएसटी को लागू करने से पहले सरकार को अभी कॉरपोरेट जगत थोड़ा और समय देना चाहिए था। और जहां तक लाखों-करोड़ों छोटे व्यापारियों की बात है इसके सरकार ने आज तक कोई भी मुकम्मल तैयारी नहीं की है।
देश में आज भी ऐसे तमाम व्यापारी हैं जिनका आज तक अप्रत्यक्ष कर से कोई वास्ता नहीं रहा है। उनके पास ना तो अकाउंटेंट हैं और ना ही सीए। इनका सारा काम नकद ही होता है। ऐसे में छोटे व्यापारी कहां जाएंगे। जीएसटी तो इनके लिए अभी बिल्कुल अनभिज्ञ होगी। शायद यही कारण है कि व्यापारी वर्ग परेशान होकर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुआ है।
एक ओर जीएसटी को लेकर 17 विपक्षी दलों का बायकॉट तो दूसरी तरफ व्यापारियों में इस सिस्टम को लेकर असमंजस अपने आप में एक बड़ी समस्या खड़ी करता है कि क्या जीएसटी सिस्टम सफल हो पाएगा।
हालांकि केंद्रीय मंत्री वैंकया नायडू खुद इस बात को खुले रूप से स्वीकार कर चुके है कि जीएसटी लागू होने के बाद शुरूआती दिनों में उपभोक्ताओं और व्यापारियों को कुछ परेशानियां होगी लेकिन सरकार इन समस्याओं को हल करने पर विचार कर रही है। ऐसे में एक प्रश्न यह उठता है कि अगर केंद्र सरकार को यह पता था कि इसे लागू करने में कुछ तकनीकी खामियां है तो सरकार ने पहले से ही मुकम्मल तैयारी क्यों नहीं की। सरकार जीएसटी को लेकर स्वयं शुरूआती समस्याओं की बात कर ही है अगर यह समय दीर्घकालिक रही तो निश्चित है कि जीएसटी को लेकर पीएम मोदी का 30 जून की आधी रात को संसद के सेंट्रल हाल का यह भव्य कार्यक्रम मात्र इतिहास बनकर रह जाएगा।