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अच्छे दिन लाने का सपना दिखाने वाली मोदी सरकार चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर कठघरे में है। अब तो विपक्ष के साथ बीजेपी के बड़े नेता भी यही बोल रहे हैं कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई है। कभी वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसलों को लेकर सरकार पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। एक अंग्रेजी अखबार में लिखे लेख में यशवंत सिन्हा यहां तक बोल गए कि अरुण जेटली ने अर्थव्यवस्था का ‘कबाड़ा’ कर दिया है। यशवंत सिन्हा की मानें तो नोटबंदी के फैसले ने आग में घी डालने का काम किया है। यशवंत सिन्हा ने जीएसटी लागू करने की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए हैं।
बीजेपी समर्थकों की मानें तो यशवंत सिन्हा इसलिए सरकार पर हमला बोल रहे हैं कि क्योंकि उन्हें हाशिए पर रख दिया गया है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या यशवंत सिन्हा ने बिना किसी तैयारी के सरकार पर हमला बोला है। जी नहीं..अब सरकार इस बात को स्वीकार करे या नहीं लेकिन सच्चाई यही है कि मौजूदा अर्थव्यवस्था पटरी से उतरती दिख रही है। देश की विकास दर मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.7 फीसदी के निचले स्तर तक पहुंच गई है जिसे देखकर 2017-18 में 7.5 फीसदी की विकास दर का अनुमान हासिल करना असंभव दिख रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक बीते तीन सालों में रोजगार में करीब 60 फीसदी की कमी हुई है।
यशवंत सिन्हा के हमले के बाद चौतरफा घिरे वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी के दूरगामी परिणाम होंगे। जेटली ने ये भी कहा कि देश में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ा है और खतरे जैसी कोई बात नहीं। लेकिन सवाल उठता है कि अगर सब कुछ ठीक है तो फिर अर्थव्यवस्था में तेजी क्यों नहीं देखने को मिल रही…अगर सब कुछ पटरी पर है तो फिर देश में लाखों नौकरियां क्यों खत्म हो रही हैं?
ऐसा नहीं है कि अकेले यशवंत सिन्हा ने अर्थव्यवस्था को लेकर अपनी ही सरकार को कठघड़े में खड़ा किया है…इससे पहले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी जेटली पर हमला बोल चुके हैं। स्वामी ने कहा था कि नोटबंदी को लेकर वित्त मंत्रालय ने उचित तैयारी नहीं की। और तो और उन्होंने ये भी कह डाला था कि वो जेटली से बेहतर वित्त मंत्री साबित होंगे।
अगर आपको याद होगा तो 2015 में अरुण शौरी ने भी मोदी सरकार के कामकाज की जमकर आलोचना की थी। तब शौरी ने मोदी सरकार को न सिर्फ दिशाहीन सरकार की संज्ञा दी थी बल्कि यहां तक कह दिया था कि लोग अब मनमोहन सिंह के दिन याद करने लगे हैं।
मोदी सरकार की अर्थनीति को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह भी सवालिया निशान खड़े कर चुके हैं। मनमोहन सिंह की मानें तो नोटबंदी के बाद जल्दबाजी में जीएसटी लागू करने के फैसले के कारण ही सारी दिक्कतें सामने आ रही हैं। आपको बता दें कि आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन भी अपनी किताब में इस बात का खुलासा कर चुके हैं कि उन्होंने नोटबंदी को लेकर सरकार को चेताया था। रघुराम राजन के मुताबिक उन्होंने कभी नोटबंदी का समर्थन नहीं किया और गर्वनर रहते इसके संभावित नुकसानों को लेकर सरकार को आगाह किया था।
वैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अब भी ये बताने की स्थिति में नहीं है कि नोटबंदी से कितना काला धन आया या फिर कितने कालेधन को नोटबंदी में सफेद किया गया। देश में जीएसटी को लागू हुए करीब 3 महीने हो गए हैं लेकिन इसे लेकर कारोबारियों के मन में अब भी कई तरह के सवाल हैं।
लोकसभा चुनाव से पहले अपनी सभाओं में नरेंद्र मोदी ने कई नारे दिए थे…उसमें से एक नारा था कि उन्हें 60 साल दिया हमें 60 महीने दो…करीब 40 महीने का समय बीत चुका है अब मोदी जी को कुछ अलग कर दिखाने के लिए 20 महीने ही शेष बचे हैं।
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