close
वायरल

PM सर, इस दशहरा बेरोजगारी के राक्षस के अंत का मुश्किल काम कर दीजिए

Want create site? Find Free WordPress Themes and plugins.

पिछले हफ्ते वाराणसी में प्रधानमंत्री के भाषण की बहुत सारी बातों में से एक बात मेरे मन में बैठ गई. उन्होंने कहा कि मुश्किल काम वो नहीं करेंगे तो और कौन करेगा. तो इस दशहरे में उनसे एक गुजारिश है- हम सबके लिए एक मुश्किल काम कर दीजिए. वो मुश्किल काम है बेरोजगारी के राक्षस को खत्म करना. बाकी मुश्किल काम हम कर लेंगे.

काम मुश्किल जरूर है लेकिन कई रास्ते हैं. दो सेक्टर्स को ही ले लीजिए. एक है कंस्ट्रक्शन और दूसरा एग्री कल्चर. इन दोनों सेक्टर्स का जिक्र इसीलिए हो रहा क्योंकि इनमें ज्यादा नौकरियां हैं.

कंस्ट्रक्शन के लिए माइक्रोवेव लाइसेंस

कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए औसतन 30 लाइसेंस लेने होते हैं. उनमें जेनरेटर चलाने, पेड़ काटने, बोरवेल लगाने और माइक्रोवेव जैसे लाइसेंस भी शामिल हैं. 30 लाइसेंस मतलब दर्जनों मंत्रालय और विभागों का चक्कर. हर जगह जुगाड़ और देरी. कुल मिलाकर कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए जरूरी लाइसेंस हासिल करने में औसतन 227 दिन लग जाते हैं.

ध्यान रहे कि इसी काम के लिए सिंगापुर में 26 दिन लगते हैं और हांग कांग में 67 दिन. यह सारे आंकड़े वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट लिए गए हैं.

फर्ज कीजिए कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर की लाइसेंसिंग प्रक्रिया अगर अपने देश में भी उतनी ही आसान हो जाती है तो निवेश कितना बढ़ जाता और कितने लोगों को रोजगार के मौके मिलते. फिलहाल इसका उलटा हो रहा है. जो इस करोबार में जुड़े हैं उनको इतने जुगाड़ करने होते हैं कि लागत भी बढ़ती है और समय भी लगता है. नतीजा- इस सेक्टर की क्षमता का पूरा फायदा हमें नहीं मिल पाता है.

इसका मतलब यह कतई नहीं है कि रेगुलेशन की जरूरत नहीं है. रेगुलेशन हो लेकिन अजीबो-गरीब लाइसेंस लेने का सिस्टम?

मंडियों से सिर्फ बिचौलियों का फायदा

कुछ इसी तरह की हाल एग्रिकल्चर सेक्टर का है. हमारे देशों में मंडियों की भरमार है. किसानों को अपनी उपज मंडियों में बेचनी होती है. कई स्टडीज में यह पता चला है कि मंडियों के सिस्टम ने बिचौलियों को ही फायदा पहुंचाया है.

किसानों को उनकी उपज का महज 20 से 25 परसेंट हिस्सा ही मिलता है. अब जिस क्षेत्र में उत्पादन करने वालों को सही कीमत नहीं मिलेगी वहां कौन निवेश करेगा. ऐसे में सेक्टर में रोजगार के मौके कैसे बनेंगे.

लेकिन इस तरह के रेगुलेशन सालों से चले आ रहे हैं. वो इसीलिए हो रहा है कि नेताओं ने अपने फायदे के लिए इस तरह के पेचीदा नियमों को बनाया और मजबूत किया है. और यह कहानी सिर्फ कंस्ट्रक्शन या एग्रीकल्टर सेक्टर्स की नहीं है. निवेश के रास्ते में गैर-जरूरी रेगुलेशन के कांटे भरे पड़े हैं.

निवेश पर हजारों पहरे होंगे तो निवेश कैसे आएगा. और निवेश नहीं होगा तो रोजगार के मौके कैसे बढ़ेंगे.

तो क्या एक मुश्किल काम होगा कि निवेश के रास्ते में मिनिमम गवर्नेस होगा. इसके लिए तो एक्जीक्यूटिव के पावर में कटौती करनी होगी.

प्रधानमंत्री ने बहुत कड़े फैसले लिए हैं. नोटबंदी का ऐसा ही फैसला था. विरोध के बावजूद जीएसटी लागू करना भी बड़ा फैसला था. और पाकिस्तान की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक भी काफी दिलेरी वाला काम था. इस बात पर बहस हो सकती है कि इनके फायदे होंगे या नुकसान. लेकिन इसमें कोई शंका नहीं है कि ये सारे बड़े फैसले थे जो लिए गए.

तो दशहरा के अवसर एक बड़ा फैसला, एक वादा- हमारे लिए नोकरी के मौके में कोई कमी नहीं हो. आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा.

Did you find apk for android? You can find new Free Android Games and apps.
Tags : featured

Leave a Response

Close
Login
Close
Login