आधुनिक समय सूचना क्रांति का है। सोशल मीडिया का प्रभाव लोगों पर तेजी से हावी होता जा रहा है। किशोर, युवा अवस्था के बच्चों के पर सोशल मीडिया का असर ज्यादा है।
सूचना टेक्नोलॉजी का दौर परिवर्तन का दौर है। सोशल मीडिया के उपयोग से बच्चों का दिमाग बड़ी तेजी के साथ डायवर्ट हो रहा है। पिछले दिनों आए परीक्षा परिणामों में सोशल मीडिया का असर पूरी तरह दिखा। शहरी क्षेत्रों से ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे मेरिट में रहे।
मनोवैज्ञानिक और टीचर ने मेरिट में न आना सोशल मीडिया का असर बताया। प्रतियोगी परीक्षाओं, सूचनाओं का आदान-प्रदान का इंटरनेट सबसे सशक्त माध्यम है। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी साेशल मीडिया सहायक है, लेकिन किशाेर और युवाओं के मन को बहुत जल्दी डायवर्ट भी कर रहा है।
नकारात्मक ऊर्जा का संचार – मनोवैज्ञानिक ने बताया कि सोशल मीडिया युवा और किशोरावस्था के बच्चों के अदंर नकारात्मक उर्जा का संचार करता है। बिना किसी प्रामाणिकता के बातों को मानना, अफवाहों को सही मान लेना। यह समय समाज से जुड़ने का होता है।
साेशल मीडिया के उपयोग करना सही है, लेकिन एक समय निर्धारित करना आवश्यक है। सोशल मीडिया में कई ऐसे एप रहते है, जो युवाओं के मन को डायवर्ट करता है। यह लोगों के सोच पर भी असर डालता है।
स्वस्थ मानसिकता की तरफ न जाकर, गलत दिशा की तरफ चले जाते है। सोशल मीडिया प्रतियोगी परीक्षाओं, सूचना के आदान-प्रदान के लिए सहायक है। लेकिन समय और आयु के अनुसार। बिना किसी प्रूफ के बातों के एसेप्ट करना, नेट में उपलब्ध कई गलत एप्स का उपयोग करना बच्चों के सोच को प्रभावित करता है।
सोशल मीडिया का प्रभाव बच्चों के व्यवहार में बड़ी तेजी के साथ परिवर्तन ला रहा है। किशोर, युवा अवस्था के बच्चों के लिए सोशल मीडिया काफी हद तक सही है, लेकिन ज्यादातर नकारात्क उर्जा का संचार करता है।