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स्वास्थ्य

आई ड्रॉप की दो बूंदे आपको बना सकती है अंधा

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मानसून के मौसम में बीमारी होने का डर रहता है। उनमें से एक इंफेक्शन कंजंक्टिवाइटिस है।

लोग कंजंक्टिवाइटिस के इलाज में आई ड्रॉप का इस्तेमाल करते है। लेकिन लोगों को पता नहीं होता कि आई ड्रॉप का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक होता है।

इंटरनेशनल जर्नल ऑप्थैलमॉलजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक करीब 60 प्रतिशत कंजंक्टिवाइटिस इंफेक्शन वायरस की वजह से होता है और इसके इलाज में एंटीबायॉटिक का कोई रोल नहीं होता। कंजंक्टिवाटिस आंखों के आगे की सतह में पाई जाने वाली बेहद महीन झिल्ली होती है उसमें जलन और लालीपन आ जाता है।

और इस वजह से आंखें खुद को सेल्फ लिमिट कर लेती हैं। मॉनसून के सीजन में जंक्टिवाइटिस होना सामान्य बात है क्योंकि इस दौरान नमी बहुत ज्यादा रहती है।कई मौको पर टीबायॉटिक्स देना जरूरी होता है। लेकिन इनके बहुत अधिक इस्तेमाल से बचना चाहिए अन्यथा आंखों की सतह को नुकसान पहुंच सकता है।

एम्स के आर पी आई सेंटर के हेड और प्रफेसर डॉक्टर अतुल कुमार कहते हैं, ‘ऐंटीबायॉटिक्स पहले इसलिए प्रिस्क्राइब की जाती थीं ताकि कॉर्निया को किसी तरह का सेकंडरी इंफेक्शन न हो।वायरस की वजह से होने वाला कंजंक्टिवाइटिस अपने आप ही एक सप्ताह के अंदर ठीक हो जाता है।

लेकिन डॉक्टर्स कहते हैं कि बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होने वाला कंजंक्टिवाइटिस कई केस में कॉर्निया तक फैल जाता है।

कॉर्निया में इंफेक्शन और घाव आंखों को स्थायी तौर पर नुकसान पहुंचा सकता है।

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The author ramniwas

reporter chhotikashi dot com

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