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मायावती का इस्तीफा मंजूर, राज्यसभा में बोलने का मौका नहीं मिलने से थींं नाराज

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नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने गुरुवार को बहुजन समाजवादी पार्टी सुप्रीमो मायावती का इस्तीफा मंजूर कर लिया। सदन में अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलने से नाराज मायावती ने मंगलवार शाम को राज्यसभा मेंबरशिप से इस्तीफा दे दिया था। मायावती ने तीन पेज के इस्तीफे में घटनाक्रम को सिलसिलेवार तरीके से बयां किया था, लेकिन इसके तय फॉर्मेट में नहीं होने से उन्हें दोबारा इस्तीफा लिखने को कहा गया। मायावती का टेन्योर 9 महीने बाद खत्म हो रहा था। बीजेपी ने इस्तीफे को ड्रामा करार दिया है। दूसरी ओर, आरजेडी चीफ लालू प्रसाद ने मायावती को बिहार से राज्यसभा की मेंबरशिप ऑफर कर चुके हैं।

इस्तीफे में वजह का जिक्र नहीं होना चाहिए:- राज्यसभा के सीनियर अफसर ने बताया कि तय फॉर्मेट में दोबारा मायावती की ओर से इस्तीफा मिलने पर सभापति ने इसे मंजूर कर लिया। अब उन्होंने हाथ से वन लाइनर इस्तीफा लिखा है। चूंकि तय फॉर्मेट के मुताबिक, राज्यसभा के सांसदों को हाथ से वन लाइनर इस्तीफा देना होता है, जिसमें वजह का जिक्र नहीं होना चाहिए। मायावती के पहले इस्तीफे में दोनों ही बातें नहीं थीं। इसीलिए सभापति ने इसे नामंजूर करते हुए दोबारा इस्तीफा लिखने को कहा।

मंगलवार को सदन में क्या हुआ 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही मायावती ने नोटिस देकर अपनी बात रखने की इजाजत मांगी थी। उपसभापति पीजे कुरियन ने उन्हें 3 मिनट का वक्त दिया। मायावती जब दलितों पर हमलों और सहारनपुर हिंसा पर बोलने लगीं तो बीजेपी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। शोर-शराबे और कुरियन के बार-बार रोकने पर भी वो 7 मिनट तक बोलती रहीं। जिसके बाद मायावती की उपसभापति से बहस भी हुई। सदन में ही इस्तीफे की धमकी देकर मायावती बाहर चली गईं। शाम को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (राज्यसभा के सभापति) से मिलकर उन्हें इस्तीफा सौंप दिया था।

इस्तीफे में क्या लिखा:- बीएसपी सुप्रीमो ने लिखा- ”अगर मैं सरकार के सामने सदन में दलितों के हितों की बात नहीं उठा सकती तो मेरे राज्यसभा में रहने का कोई मतलब नहीं। मैं अपने समाज की रक्षा नहीं कर पा रही हूं। अगर मुझे अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जा रहा है तो मुझे सदन में रहने का अधिकार नहीं है। बड़े दुख के साथ मैं सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं। कृपया इसे मंजूर करें।”

बता दें कि मायावती का टेन्योर अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा था। लालू ने कहा- हम मायावती को राज्यसभा भेजेंगे लालू यादव ने कहा था, ”मायावती गरीबों और दलितों की नेता हैं। वे सहारनपुर की घटना को सदन में उठाना चाहती थीं, लेकिन सरकार के लोगों ने मिलकर उन्हें रोका और बोलने नहीं दिया। इससे दुखी होकर उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सही बोला कि जहां दलितों और पिछड़ों की बात न सुनी जाए, वहां रहने का कोई फायदा नहीं।”

“हम मायावती का सपोर्ट करते हैं। मैं उनकी बहादुरी का तारीफ करता हूं। अगर वे चाहती है कि वे फिर से राज्यसभा जाएं, तो हम उन्हें बिहार से भेज सकते हैं। मायावती के खिलाफ बीजेपी मंत्रियों का बिहेवियर बताता है कि बीजेपी एंटी-दलित पार्टी है।”

कुरियन से हुई थी बहस मायावती का कहना था कि यह शून्यकाल नहीं है कि केवल तीन मिनट दिए जाएं। अपनी बात कहने के लिए ज्यादा समय दिया जाना चाहिए था। इस पर कुरियन ने कहा कि मायावती को बोलते हुए सात मिनट हो गए हैं। इसके बाद मायावती ने कहा कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है तो सदन में रहने का कोई मतलब नहीं है। वह सदन से इस्तीफा दे रही हैं। वे सदन से बाहर चली गईं।

इसके बाद कुरियन ने चर्चा के लिए विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का नाम पुकारा। आजाद ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षों को अपनी बात कहने का मौका देने का भरोसा दिया था। विपक्ष देश हित में सरकार का सहयोग करने के लिए तैयार है लेकिन इस माहौल में काम नहीं हो सकता। इसलिए वे सदन से वॉकआउट कर रहे हैं। इसके बाद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी सदन से बाहर चले गए।

बीएसपी के सतीशचंद्र मिश्रा मायावती के साथ राज्यसभा से बाहर गए लेकिन जल्दी ही वापस लाैटे। इसके बाद बसपा के सदस्यों ने ‘दलितों की हत्याएं बंद करो’ के नारे लगाए। समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने भी उनका साथ दिया।

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The author raj

Reporter, ChhotiKashi.com

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