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इस तरह गोरखालैंड आंदोलन की हवा निकाल देगी ममता सरकार

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दार्जिलिंग। पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में अगल गोरखालैंड की मांग को लेकर आंदोलन जारी है। यह आंदोलन 8 जून को आंदोलन शुरु हुआ था। आंदोलन को शुरु हुए करीब ढाई माह हो चुके हैं लेकिन अभी तक गतिरोध जारी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गतिरोध दूर करने के लिए 29 अगस्त को कोलकाता के नबाना में सर्वदलीय बैठक बुलाई है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के सहायक सचिव बिनय तमांग ने कहा कि 29 अगस्त की बैठक को लेकर हमें अभी तक राज्य सरकार की ओर से पत्र नहीं मिला है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक राज्य सरकार बिमल गुरुंग व उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर गोजमुमो व पहाड़ की अन्य राजनीतिक पार्टियों पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रही है।

अब तक जो सूचना है उसके मुताबिक पहाड़ के राजनीतिक दलों ने सर्वदलीय बैठक के प्रति कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। अधिकतर पार्टियों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से औपचारिक आमंत्रण मिलने के बाद ही बैठक में जाने के बारे में सोचेंगे। वहीं कुछ राजनीतिक दलों ने साफ किया है कि अगर गोरखालैंड पर बातचीत होती है तभी वे लोग नबाना में आयोजित बैठक में शामिल होंगे। राज्य खुफिया विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय तक इस बात की जानकारी पहुंचा दी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि एक बार गुरुंग व उनके करीबियों की गिरफ्तारी हो जाती है तो 13 पार्टियों द्वारा बनायी गई गोरखालैंड मूवमेंट को-ऑर्डिनेशन कमेटी में बिखराव हो जाएगा। इसके अलावा गिरफ्तारी के डर से गोजमुमो के भी कई बड़े नेता अंडरग्राउंड हो जाएंगे। ऐसी स्थिति में पहाड़ पर बेमियादी बंद अपने आप खत्म होने की संभावना है। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने छापेमारी तेज कर दी है। बुधवार को करीब एक बजे बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों को साथ लेकर पुलिस ने सोम चाय बागान पर धावा बोला। दार्जिलिंग शहर से दूर ग्रामीण इलाके में यह चाय बागान है। गुरुंग और उनके कुछ करीबियों के यहीं डेरा जमाए जाने की खबर मिलने के बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की।

हालांकि किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका। पिछले तीन दिनों से पातलेवास व सिंगमारी इलाके में लगातार छापेमारी की जा रही है। सिंगमारी में गोजमुमो का केन्द्रीय कार्यालय है जबकि पातलेवास में बिमल गुुरुंग का घर। सूत्रों के मुताबिक शीर्ष मोर्चा नेताओं की तलाश में हर संभावित ठिकाने पर छापेमारी की जा रही है। इस बीच बिमल गुरुंग का पिछले 10 दिनों से कोई अता पता नहीं है। हालांकि गोजमुमो के विभिन्न नेता इससे इनकार कर रहे हैं कि बिमल गुरुंग छिपे हुए हैं। एक नेता ने कहा कि गुरुंग छिपे हुए नहीं है बल्कि वह विभिन्न स्थानों पर जाकर पार्टी समर्थकों के साथ बैठकें कर रहे हैं। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक से पहले पुलिस मोर्चा प्रमुख बिमल गुरुंग व उनके करीबियों को दबोचना चाहती है। सरकार ने पुलिस को खुली कार्रवाई की छूट दे रखी है।

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