नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने मंगलवार को उच्च स्तरीय 5G समिति का गठन कर दिया है। यह समिति 2020 तक 5G तकनीकि को व्यवहारिक बनाने की रूपरेखा पर काम करेगी। सरकार की ओर केन्द्रीय संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने इस विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि 5G समिति में दूरसंचार, इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव शामिल किए गए हैं। यह समिति 5G के बारे में दृष्टिकोण, मिशन और लक्ष्यों को लेकर काम करेगी।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि 2020 में जब दुनिया में 5G तकनीकि का प्रयोग करना शुरू करेगी तो भारत उनके बराबर खड़ा होगा। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सरकार 5G से जुड़ी गतिविधियों के लिये 500 करोड़ रुपये का बजट निकालने पर काम कर रही है। समिति का मुख्य कार्य रिसर्च और प्रोडक्ट डेवलपमेंट करना होगा। 5G तकनीकि के तहत सरकार का शहरी क्षेत्रों में 10,000 MBPS और ग्रामीण क्षेत्रों में 1000 MBPS की स्पीड वाली मोबाइल इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
वहीं बाजार विशेषज्ञों की माने तो संचार के क्षेत्र में 5G इंटरनेट सेवाओं को लेकर निजी कंपनियों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलगी। जिस तरह का माहौल 4G सेवाओं के शुरू होने के साथ पैदा हुआ संभव है कि आने वाले समय में प्रतियोगिता ज्यादा बड़ी हो। लेकिन 5G तकनीकि को पूरी तरह व्यवहारिक बनाने और कमर्शियली लांच करने के लिए कम से कम तीन सालों का समय लगेगा। अभी तक यह तकनीकि केवल विकसित हो सकी है। दुनिया के एक या दो ऐसे देश हैं जिनमें इसकी टेस्टिंग शुरू किए जाने की बात हो रही है।
अब तक ऐसी खबरें सामने आई हैं कि एयरटेल और नोकिया ने 5G तकनीकि को भारत में लांच करने के लिए एक साझा रणनीति पर काम करने की तैयारी कर ली है। जिसके तहत एयरटेल के वर्तमान नेटवर्क को 5G तकनीकि के लिए अपग्रेड किया जाएगा। एयरटेल को उम्मीद है कि कंपनी 2019 में 5G की टेस्टिंग शुरू कर देगी। शायद 4G सेवाओं के मोर्चे पर रिलाइंस जियो से पिछड़ने के बाद अगली जनरेशन के नेटवर्क पर मजबूती से काम करना चाहती है।