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लुईस बर्जर घूसकांड में एफआईआर दर्ज, गुवाहाटी हाईकोर्ट ने दिया था सीबीआई जांच का आदेश

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सीबीआई ने असम के लुईस बर्जर घूसकांड की जांच अपने हाथ में ले ली है। गुवाहाटी हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली है। सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज कर ली है। हालाकि एफआईआर में किसी आरोपी और संदिग्ध का नाम नहीं है। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक गुवाहाटी मेट्रोपोलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी, अमरीका स्थित मल्टीनेशनल कंपनी लुईस बर्जर इंटरनेशनल और असम सरकार के के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया है। 1 सितंबर को अपने आदेश में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच अपने हाथ में लेने को कहा था। 2015 में सामाजिक कार्यकर्ता भाबेन हांडिक और दो अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। इसमें घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की गई थी। इसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। हाईकोर्ट ने असम सरकार और पुलिस से सीबीआई की जांच के दौरान सहयोग देने को कहा।

डिविजन बैंच ने अपने आदेश में कहा था कि यह पूरी तरह स्पष्ट है कि जांच एजेंसी(असम सीआईडी)ने ईमानदारी जांच नहीं की। उसने जांच के दौरान पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाया। सीआईडी ने कथित रुप से आरोपियों को बचाने की कोशिश की। सीआईडी राज्य सरकार के अधीन है और बड़े पैमाने पर घूस लेकर उच्च अधिकारियों ने ठेके दिए थे। हमारा मत है कि सीआईडी उस पोजिशन में नहीं है कि वह निष्पक्ष तरीके से जांच को तार्किक परिणिति तक पहुंचा सके। कथित घोटाला उस वक्त हुआ था जब तरुण गोगोई राज्य के मुख्यमंत्री थे और हिमंता बिस्वा सरमा गुवाहाटी डवलपमेंट डिपार्टमेंट के मंत्री थे। तरुण गोगोई और कृषक मुक्ति संग्राम समिति के नेता अखिल गोगोई ने आरोप लगाया है कि घोटाले में सरमा भी शामिल है। तरुण गोगोई ने घोटाले में सरमा की भूमिका का पता लगाने के लिए सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। आरोप है कि लुईस बर्जर कंपनी ने गोवा और गुवाहाटी में वाटर सप्लाई के प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए गैर कानूनी तरीकों का इस्तेमाल किया। मामला जुलाई 2015 का है

जब यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने फोरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट(एफसीपीए) के तहत न्यूजर्सी बेस्ड कन्सल्टन्सी फर्म लुईस बर्जर के खिलाफ लॉ सूट फाइल किया था। याचिकाकर्ता ने कहा था कि अमरीका में कंपनी पर 1.71 करोड़ अमरीकी डॉलर की पेनल्टी लगाई गई थी। यूएस जस्टिस डिपार्टमेंट ने कहा था कि लुईस बर्जर ने भारत,इंडोनेशिया, वियतनाम, कुवैत में 1998 से 2010 के दौरान सरकारी ठेके लेने के लिए घूस दी थी। घूस के आरोपों को रिजोल्व करने के लिए बतौर क्रिमिनल पेनल्टी कंपनी को 17.1 मिलियन डॉलर देने होंगे। यूएस कोर्ट के दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि लुईस बर्जर व कुछ सहायता संघों ने गोवा व गुवाहाटी में दो वाटर डवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के लिए 9, 76, 639 डॉलर की घूस दी थी। 2015 में जब मामला सामने आया तो तरुण गोगोई ने सीआईडी जांच का आदेश दिया था। जुलाई 2015 में गोगोई ने तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सुभाष दास को उन आरोपों की जांच करने को कहा था जिनमें कहा गया था कि लुईस बर्जर ने सलाहकार के रूप में नियुक्ति के लिए गर्वमेंट फंक्शनरीज को घूस दी थी।

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