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भारतीय वायुसेना के बारे में ये बातें जान आपको भी गर्व होगा

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पिछले 85 सालों से भारतीय वायुसेना आसमान के रास्ते देश की सुरक्षा में जुटी है। 1932 में शुरु हुआ ये सिलसिला आज भी बखूबी जारी है। कई मौकों पर देश की सीमा की सुरक्षा, देश के नागरिकों की सुरक्षा करने वाली हमारी वायुसेना के बारे में कुछ खास बातें जान लीजिए –

आधिकारिक तौर पर 8 अक्टूबर 1932 को भारत में ब्रिटिश राज के अंदर वायुसेना का गठन किया गया। 1 अप्रैल 1933 को इस सेना के जहाज ने पहली आधिकारिक उड़ान भरी। उस समय वायुसेना में सिर्फ 6 पायलट और 19 हवाई सिपाही थे। मतलब भारतीय वायुसेना की शुरुआत सिर्फ 25 अधिकारियों से हुई थी।

1950 तक रॉयल इंडियन एयरफोर्स के नाम पर ही वायुसेना को जाना जाता था। इस साल गणतंत्र बनते ही इसका नाम भारतीय वायुसेना यानि इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया।

आज करीब 1.5 लाख सैनिकों और 1,500 विमानों के साथ भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है। भारत से आगे अमेरिका, चीन और रूस की वायुसेना हैं।

‘नभ स्पर्शं दीप्तम्’ भारतीय वायुसेना का उद्देश्य यानि मोटो भागवत गीता से लिया गया है। भारतीय वायुसेना अपने उद्देश्य के मुताबिक आसमान को छूकर उसे उजाले से भर देती है।

1965 तक भारतीय वायुसेना के सर्वोच्च अधिकारी का रैंक एयर मार्शल था। 1965 में इसे बदल कर एयर चीफ मार्शल कर दिया गया। हाल ही में दिवंगत हुए श्री अर्जन सिंह भारतीय वायुसेना के पहले एयर चीफ मार्शल थे। वो पहले मार्शल भी बने। मौजूदा समय में एयर चीफ मार्शल बिरेंद्र सिंह धनोआ इसके चीफ हैं।

भारतीय वायुसेना अब तक पाकिस्तान के खिलाफ 4 युद्धों में दम-खम दिखा चुकी है। 1971 के युद्ध में भारत को मिली जीत का श्रेय वायुसेना को दिया जाता है।

फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह इकलौते वायुसेना अधिकारी रहे जिन्हें सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उन्हें मरणोपरांत ये सम्मान दिया गया।

भारतीय वायुसेना में कुल 7 कमांड हैं और पूरे इनमें कुल मिलाकर 60 से अधिक एयरबेस हैं। पश्चिमी कमांड में सबसे ज्यादा 16 एयर बेस हैं।

ताजिकिस्तान के फरकोर में भारत का पहला विदेशी एयर बेस है। भारतीय वायुसेना ताजिकी सेना के साथ मिलकर इस एयर बेस की देखरेख करती है।

1984 में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा वायुसेना अधिकारी थे। 1966 में राष्ट्रीय डिफेंस अकादमी (NDA) में जाने वाले राकेश ने 1970 में एयरफोर्स में कमिशन प्राप्त की।

2002 में पद्मवती बंदोपाध्याय एयर मार्शल के पद पर पहुंचने वाली पहली महिला वायुसेना अधिकारी बनीं। पेशे से डॉक्टर पद्मवती के पति भी वायुसेना अधिकारी थे।

2016 में तीन महिला अधिकारियों को कॉम्बेट रोल में चुना गया। फ्लाइंग ऑफिसर मोहना सिंह, अवनी चतुर्वेदी और भावना कांत जल्द ही सुखोई-30 विमान उड़ाकर इतिहास रचेंगी। भारतीय वायुसेना ने अपने इस कदम के साथ ही तीनों सेनाओं को में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का काम किया है।

भारतीय वायुसेना में लड़ाकू विमानों के खास नाम हैं।मिग 29 को बाज, मिग 27 को बहादुर, SPACECAT जैगुआर को शमशेर के नाम से जाना जाता है। मिराज को वज्र कहा जाता है।

भारतीय वायुसेना दुनिया के तीन सबसे बड़े और भारीभरकम कार्गो/ ट्रांसपोर्ट विमानों का इ्स्तेमाल कर ने वाली इकलौती सेना है। इन विमानों में C-130J सुपर हर्क्यूलिस, C-17 ग्लोबमास्टरIII और IL-76 शामिल हैं।

अगस्त 2013 में भारतीय वायुसेना ने C-130 J को विश्व की सबसे ऊंची हवाई पट्टी लदाख के दौलत बेग ओल्डी में उतारकर रिकॉर्ड बनाया।

आपने सुब्रतो कप का नाम सुना होगा। ये भारत के सबसे पुराने फुटबॉल टुर्नामेंट में से एक है जो 1960 से देशभर के स्कूलों के बीच होता है। ये टूर्नामेंट भारतीय वायुसेना की ओर से कराया जाता है एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी की याद में जो वायुसेना के पहले भारतीय वायुसेनाध्यक्ष थे।

भारतीय वायुसेना युद्ध के अलावा भी काफी काम करती है। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन, प्राकृतिक आपदा में मदद पहुंचाने के काम भी ये सेना बखूबी करती है। 2015 में भारतीय वायुसेना ने यमन में फंसे भारतीयों को सही सलामत देश वापस लाने के लिए ‘ऑपरेशन राहत’ को अंजाम दिया जिसमें 4,500 से ज्यादा भारतीयों और करीब 1000 विदेशी नागरिकों को सही-सलामत यमन से निकाला गया।

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The author N D Joshi

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