अगरतला।
हत्या के संदिग्ध की रिहाई की मांग को लेकर बुधवार को 300 आदिवासी पुरुषों व महिलाओं ने जिरानिया उपखंड के तहत आने वाले राधनपुर पुलिस थाने का घेराव कर दिया। इससे इलाके में दोबारा तनाव उत्पन्न हो गया। हालांकि अगरतला-खोवई रोड पर पन्द्रह दिन बाद ट्रैफिक मूवमेंट बहाल हो गया। जिरानिया,चंपकनगर, खुमुलन्ग इलाकों में आईपीएफटी व जीएमपी समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुई थी।
इसके बाद अगरतला-खोवई रोड पर ट्रैफिक मूवमेंट बंद कर दिया गया था। कुछ ही घंटों में करीब 300 आदिवासी पुरुष और महिलाओं ने राधनपुर पुलिस थाने का घेराव किया। उनकी पुलिस से भिड़ंत हो गई। प्रदर्शनकारियों को खदेडऩे के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर बीतर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और हवा में फायरिंग की। कानून व्यवस्था की स्थिति आगे जाकर
ना बिगड़े इसलिए राज्य सरकार ने अगले 24 घंटे के लिए इंटरनेट और एसएमएस सेवा पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। पिछले तीन महीने में तीसरी बार इंटरनेट और एसएमए सेवाओं पर बैन लगाया गया है।
पिछले पन्द्रह दिन में त्रिपुरा में 4 दिन पूरी तरह इंटरनेट ब्लैकआउट रहा। 20 सितंबर को खुमुलन्ग से ड्राइवर जिबना देबनाथ गायब हो गया था। सूत्रों के मुताबिक जिबान देबनाथ के गायब होने से पहले दो पत्रकारों ने उसकी गाड़ी में यात्रा की थी। पुलिस ने जिबान देबनाथ के गायब होने के मामले में भास्कोब्रा इलाके के बालेन्द्र देबबर्मा को गिरफ्तार किया है। पुलिस को शक है कि जिबान के गायब करने में बालेन्द्र का हाथ है।
बालेन्द्र को पूछताछ के लिए शुरुआत में बुधवार सुबह 9 बजे उसके घर से हिरासत में लिया गया।पुलिस थाने में शुरुआती पूछताछ के बाद उसे दोपहर में गिरफ्तार कर लिया गया। जब लोगों को बालेन्द्र की गिरफ्तारी की सूचना मिली तो करीब 300 आदिवासी पुरुष और महिलाएं राधनपुर पुलिस थाने पहुंचे और थाने का घेराव कर लिया। स्थानीय प्रशासन ने तनाव को बढऩे से रोकने के लिए इलाके में धारा 144 लगा दी है।
हालांकि जब भीड़ ने बालेन्द्र को पुलिस के कब्जे से छुड़ाने की कोशिश की तो पुलिस वालों ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया। जब भीड़ को खदेडऩे की यह तरकीब कामयाब नहीं हुई तो पुलिस को आंसू गैस के गोले छोडऩे पड़े। साथ ही हवा में पांच राउंड फायरिंग करनी पड़ी। इलाके में भारी पुलिस बल, टीएसआर व सीआरपीएफ कर्मियों को तैनात किया गया है। बाद में मीडिया से बातचीत में पुलिस अधीक्षक ने स्वीकार किया है कि राधनपुर पुलिस थाने का घेराव करने की कोशिश हुई थी। पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने भीड़ को खदेडऩे के लिए कदम उठाए।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि गिरफ्तार बालेन्द्र देबबर्मा आईपीएफटी का समर्थक हो सकता है। 20 सितंबर को गण मुक्ति परिषद और आईपीएफटी के समर्थकों के बीच हुई हिंसक झड़पों में उसके शामिल होने का शक है। साथ ही वह ड्राइवर जिबान देबनाथ के गायब होने के मामले में भी शामिल हो सकता है। आईपीएफटी के महासचिव मेवार कुमार जमातिया ने इस बात से इनकार किया है कि बालेन्द्र आईपीएफटी का नेता है। मेवार ने कहा कि इन दिनों विभिन्न दलों के हजारों लोग आईपीएफटी में शामिल हो रहे हैं लेकिन यह व्यक्ति आईपीएफटी का नेता नहीं है।
हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि बालेंन्द्र पार्टी का समर्थक है। मेवार ने राधनपुर पुलिस थाने में भीड़ पर पुलिस की कार्रवाई की निंदा की है। उन्होंने कहा, वहां पहले से तनाव है। मुझे बताया गया कि वहां कई महिलाएं थी। उन्हें महिला प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई शुरू करने के लिए महिला पुलिस कर्मियों का लाना चाहिए था। यह बहुत अनुचित है। मैं पुलिस कार्रवाई की निंदा करता हूं। आईपीएफटी नेता ने उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जिनमें कहा गया था कि पुलिस थाने पर हमले के लिए उनकी पार्टी ने लोगों को भड़काया। बकौल मेवार, पुलिस थाने के समक्ष भीड़ के जमा होने से हमरा कोई लेना देना नहीं है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक बालेन्द्र को बाद में ईस्ट अगरतला पुलिस थाने में शिफ्ट किया गया।